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कृपया मेरी मदद करें ।

सत्यमेव .....
सत्यमेव .....
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मोहन जी, बहुत बढ़िया लेख…….मजा आ गया पढके….. मोहन जी, अब आप भी अपनी फोटो अपलोड कर ही लें……..आप के चेहरे के काफी लोग हो गए हैं अब यहाँ…..अपनी ना सही कृष्ण भगवान की ही कर लें, आपमें तो दो-दो कृष्ण समाये हैं…….नहीं तो शेर, चीता, बन्दर, भालू जो भी मिले और उपयुक्त लगे उसे ही अपलोड कर ले….. देख के ही समझ आना चाहिए की ये आपकी पोस्ट है…… टिप्पणी: अदिति कैलाश ।

मित्रों, आप सभी लोग चेहरे वाले लोग हो । खूबसूरत, दमकते, चमकते, चहकते, चेहरे । जब कभी आपकी कोई पोस्ट फीचर्ड रीडर ब्लाग में लिस्ट होती है तो आपके चहरों से या जो भी फूल, सीनरी, बच्चे की फोटू आपने लगाई होती है उससे झट से पता चल जाता है कि चातक जी, मनोज भाई, खुराना जी, अदिति जी, जैक जी, भगवान भाई साहब, वगैरह (दूसरे ब्लागर वगैरह में अपना नाम शुमार समझें) ने नया माल ठेला है । दौड़ कर टिप्पणी कर आओ । टिप्पणी के मामले में घाघ ब्लागरों का अपना ही स्टाईल होता है । वो टिप्पणी पहले कर देते हैं पोस्ट बाद में पढ़ते हैं या फिर पोस्ट फिर कभी पढ़ने के लिये छोड़ दूसरे ब्लाग पर टिप्पणीधर्म निभाने तड़ी हो लेते हैं । हालांकि अभी यह चालूपना जागरण जंक्शन के ब्लागरों ने नहीं सीखा है (या कुछ लोग सीख गये हैं लेकिन पता नहीं चलने देते हैं।) टिप्पणी के मामले में कुछ सयाने ब्लागर दान वाला सिद्धांत अपनाते हैं की दाएं हाथ से टिप्पणी करो और बाएं हाथ को पता भी नहीं चले । जैसे कनाडा में बैठे अपने समीर लाल जी और अपने इलाहाबादी ज्ञान दत्त जी ।

भारत में हिन्दी ब्लागिंग का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है । बस यू समझिये कि कुछ ब्लागर 5 से 7 साल पुराने हैं । कुछ पुराने ब्लागर रिटायर हो चुके हैं । कुछ वी. आर. एस. लेने की सोच रहे हैं । एकाध ब्लागर जैसे ‘फुरसतिया’ अनुप शुक्ल जी पिछले पांच साल से लगातार 100 डिब्बों की मालगाड़ी सी लंबी पोस्टें सरकाते जा  रहे हैं । कुछ ब्लागर ब्लागिंग का शटर डाउन करने की घोषणा के बाद भी तशरीफ में फैविकाल लगा कर जमें हुयें हैं ।

भारत में अगर कोई चीज इफरात में पायी जाती है तो वह है गुटबाजी । (गुटके की बात नहीं कर रहा हूं । अभी 31 मई को ही तंबाकू निषेध दिवस मनाया है ।) ब्लागरों में भी ये तत्व इफरात में पाया जाने लगा है । मैं इसका विरोध नहीं करता क्योंकि अगर एक भारतीय दूसरे को प्रोत्साहित न करे और तीसरे की टांग न खींचे तब फिर वह भारतीय नहीं है। एन आर आई भी नहीं हो सकता है । बिना गुट बनाये क्या कोई सफल हुआ है । नहीं हुआ है न, तब । प्राकृतिक क्रियाओं पर ज्यादा दिमाग नहीं खराब करना चाहिये । ब्लागिंग भी गुटबाजी से अछूती नहीं है और इसे ब्लागिंग के विकासक्रम का एक जरूरी हिस्सा समझना चाहिये । गुटबाजी मतलब दोस्ती और दोस्त की मदद करना । दोस्त के दोस्त को दोस्त समझना और दुश्मन को दुश्मन । लेकिन जागरण जंक्शन अभी अपने शैशवकाल में है और बच्चे तो भगवान का रूप होते हैं । वो तो बाद में संगत खराब होती है । सांसारिक क्रियाएं ।

लीजिए, लिखने कुछ और बैठा था, लिख कुछ और रहा हूं । ऊपर अदिति जी ने शिकायत की है कि आप अपने ब्लाग पर अपना चौखटा  या चौखटे जैसा ही कुछ क्यों नहीं लगाते हैं । ब्लाग पहचानने में दिक्कत होती है । अदिति जी आप ठीक फरमा रही हैं । चौखटे से ही आदमी पहचाना जाता है । चाहे ब्लाग हो या फिर वास्तविक जीवन । 2008 में जब मैंने ब्लागिंग शुरू की तो बहुत समय तक मैंने अपने श्रीमुख की फोटू उस पर नहीं लगाई और न ही मैंने अपना परिचय उस पर दिया । हिन्दी में व्यंगकारों का हश्र मैंने पढ़ रखा था । मेरे द्रोणाचार्य समान गुरूजी स्व. हरिशंकर परसाई जी अपने तीखे व्यंग्यों के कारण दो बाद पिटे थे । स्व. शरद जोशी जी से भी सरकार परेशान रहा करती थी। इसलिये मुझे भी भ्रम हो गया कि मैं जो कि मेरी राय में टापक्लास का व्यंग्य लिखता हूं (लेखक को हमेशा से यह खुशफहमी होती है कि वह उत्कृष्ट साहित्य का सृजन कर रहा है और बाकी सब घास छील रहे हैं ) किसी न किसी दिन पिट कर ही रहूंगा । सो बहुत दिनों तक मैंने अपने ब्लाग ‘सुदर्शन’ पर अपनी फोटू नहीं लगाई । काफी समय तक मैं इसी इंतजार में रहा कि शायद टिप्पणी के माध्यम से ही कोई मुझे कोसेगा, पीटने की धमकी देगा, कोर्ट का सम्मन भिजवायेगा आदि । लेकिन जब इस तरह की कोई घटना नहीं घटी तो मेरा महान व्यंगकार होने का सपना टूटने लगा । साफ बात थी कि मेरे व्यंग्य में न धार थी और न ही नश्तर सी चुभन  । कुछ लोगों ने तारीफें की लेकिन वो तो कविसम्मेलन में खड़े होकर चुटकुला सुनाने वालों की भी होती हैं । तब मैंने सोचा कि प्यारे कृष्ण मोहन अब कोई खतरा नहीं है तू अपनी फोटू लगा सकता है । तब भी मित्रों  मैंने सावधानी बरतते हुये अपनी एक धुंधली सी फोटू ‘सुदर्शन’ पर लगाई । क्या पता कोई शातिर शिकारी अब तक इंतजार में बैठा हो । फोटू लगाई नहीं की डण्डा लेकर हाजिर । ‘आप ही के एम मिश्रा के नाम से ब्लाग लिखते हैं । ?’

तो मित्रों, जब ‘सुदर्शन’ पर फोटू लगाने से कोई नुक्सान नहीं हुआ (महान व्यंगकार होने का ख्वाब टूटा, ये बड़ा नुक्सान था) तो मैंने सोचा कि अब जागरण जंक्शन पर भी अपने श्रीमुख का जिरोक्स चिपका दिया जाये । मैंने अपना वही धुंधला सा फोटू यहां भी चिपकाने की कोशिश की लेकिन पता नहीं क्या बात है कि फोटू चिपका ही नहीं । मैंने कई बार कोशिश की लेकिन हर बार दंतेवाड़ा हो जाता है । फिर अदिति जी ने भी टिप्पणी खेंच मारी की फोटू क्यों नहीं लगाते हो, पहचानने में दिक्कत होती है। मैंने फिर ट्राई मारा लेकिन फोटू था कि चिपकने को तैयार ही नहीं था । ऐसा नहीं कि मैंने एक ही फोटू ट्राई की हो । कई इमेज लगाने की कोशिश की मगर हर बार कोशिश नाकाम हुई । अब हार का आप लोगों से सविनय निवेदन कर रहा हूं कि फोटू चिपकाने का क्या तरीका आप लोगों ने अपनाया है, कृपया मेरा मार्गदर्शन करें । आप लोगों की तकनीकि राय की राह देखता ।

कृष्ण मोहन ।

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