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जग बौराना : लज्जा नहीं आयी ।

सत्यमेव .....
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लेखक: श्री नरेश मिश्र


सेठ की शामत आयी थी जो उसने पितृपक्ष में । मथुरा के चौबे को भोजन के लिये बुला लिया । सेठ  का राहूकाल चल रहा होगा । चौब जी आये । सेठानी ने अपनी समझ से आदमियों के लिये भोजन का प्रबंध किया था । चौबे जी सब कुछ डकार गये । जब उन्होंने उन्नीसवीं बार कचौड़ी मांगी तो सेठानी ने कड़ाही बजा कर बताया कि अब कुछ बचा नहीं है । सेठ झल्ला गया । उसने कहा चौबे जी लज्जा नहीं आयी । चौबे जी की बिटिया का नाम लज्जा था । उन्होंने जवाब में फौरन अंगोछा फैला दिया । कहा – जजमान लज्जा नहीं आयी है । उसने अंगोछा भेजा है । उसका भोजन इसी अंगोछे में बांध दो ।



यह लज्जा का अंगोछा सियासतदानों में किसके के पास है ? मेरे ख्याल से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास है । बेचारे बिहार गये थे । उन्होंने बताया  कि केन्द्र ने बहुत सारा सरमाया भेजा था लेकिन बिहार सरकार ने उसका इस्तेमाल नहीं किया । उपयोग की बात होती तब भी कोयी सीमा थी । उन्होंने कहा कि इसका दुरूपयोग हुआ है । राहुल बाबा भी यही बोले । सोनिया जी भी यही बोलीं । यह केन्द्र सरकार के लिये रामधुन हो गया है । जहां चुनाव सभा करने जाते हैं, इसी बात को दुहराते हैं कि केन्द्र ने तो बहुत पैसा दिया । राज्य सरकारों ने उसका दुरूपयोग किया ।


यह नुस्खा अब पिट गया है । मर्ज के लिये कितना कारगर होगा कहा नहीं  जा सकता । एक सवाल और है । अगर कोई ज्योतिषी, पण्डित या विद्वान इसका जवाब दे सके तो बहुत अच्छा होगा । कितने झूठे मरते हैं तो एक नेता पैदा होता है । धर्मशास्त्र में इसका कोयी जवाब नहीं है । प्रधानमंत्री ने बिहार सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप तो लगा दिया लेकिन चिराग तले अंधेरे की कहावत चरितार्थ हो गयी । कामनवेल्थ गेम्स में 70,000 करोड़ रूपये के खर्च का हिसाब नहीं मिल रहा है । अभी केन्द्र सरकार को उसका जवाब देना बाकी है । लेकिन प्रधानमंत्री घूम-घूम कर यही कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार तो बड़ी उदार है और राज्य सरकारें बेईमान हैं । ये झूठ कितने दिन चल सकता है ।



सवाल यह है कि राजा से कौन कहे कि वह नंगा है । राजा दूसरे के कपड़ों की ओर इशारा कर सकता है लेकिन उसे कोयी दरबारी नहीं बता सकता कि वह किस तरह से बेपर्दा है । बेपर्दगी की एक प्रतियोगिता चल रही है । राजनीति में जो जितने आरोप लगा सके उसकी उतनी ही कीमत बढ़ती है । बिहार के चुनाव का नतीजा क्या होगा यह तो जनता ही बतायेगी । लेकिन हमारा राजनीतिज्ञों से निवेदन है कि वो झूठ बोलने मे थोड़ी कमी कर देंगे तो उनके हाजमे पर कोयी फर्क नहीं पड़ेगा । उनकी सेहत बहाल होगी । थोड़ा कहा, ज्यादा समझना ।

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